tag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post6678936908607154005..comments2023-10-22T17:42:51.216+05:30Comments on ना जादू ना टोना: राम कहने पर आपको किसका चेहरा याद आता है ?शरद कोकासhttp://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-29049846164433608882010-11-02T08:47:21.497+05:302010-11-02T08:47:21.497+05:30सबसे बाद का लेख पढा तो पीछे जा कर और पढने को मन कि...सबसे बाद का लेख पढा तो पीछे जा कर और पढने को मन किया । मन में कुछ बिंब और शब्द साथ जुडे होते हैं शब्द सुनते ही वह तसवीर उभर आती है । कविता भी विषयानुरूप ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-87689418901467458412010-10-16T23:06:17.677+05:302010-10-16T23:06:17.677+05:30वाकई में कभी ध्यान नहीं दिया था, मगर बात सही है.
...वाकई में कभी ध्यान नहीं दिया था, मगर बात सही है.<br /><br />अपने अपने मन की कहानी है, और अर्थ या भावार्थ का खेल है. ए रिक्षा कहने से रिक्षा भी याद आ सकता है, या रिक्षावाला!!दिलीप कवठेकरhttps://www.blogger.com/profile/16914401637974138889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-36292006355673173172010-10-15T12:27:16.462+05:302010-10-15T12:27:16.462+05:30कुछ लेख अपने आप में इतने पूर्ण होते है की इसके सिव...कुछ लेख अपने आप में इतने पूर्ण होते है की इसके सिवा और कुछ लिख ही नहीं सकते है की बहुत अच्छा लीखा |<br /><br />हा एक बात और लिखनी है ये पाठको को बुलाने का भयानक तरीका बहुत पसंद आया वैसे ये थे कौन | :-)anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-10251206253351052552010-10-13T16:13:11.067+05:302010-10-13T16:13:11.067+05:30Bahut hi behtar visleshan.Bahut hi behtar visleshan.satyendrahttps://www.blogger.com/profile/12893714424891990810noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-53564882437049110742010-10-09T10:52:11.431+05:302010-10-09T10:52:11.431+05:30देर आयी दुरुस्त आयी। गूढ ग्यान। आलेख सेर और कविता ...देर आयी दुरुस्त आयी। गूढ ग्यान। आलेख सेर और कविता सवासेर्। धन्यवादनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-53845992845809747002010-10-08T18:14:36.304+05:302010-10-08T18:14:36.304+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Pushpendra Singh "Pushp"https://www.blogger.com/profile/14685130265985651633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-20166523778986849572010-10-08T18:10:45.671+05:302010-10-08T18:10:45.671+05:30shrad ji acchi rachna
badhaishrad ji acchi rachna<br />badhaiPushpendra Singh "Pushp"https://www.blogger.com/profile/14685130265985651633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-84971861886424776282010-10-06T18:29:52.371+05:302010-10-06T18:29:52.371+05:30कल्पना को बहुत खूबी से उकेरती है ये कविता ।
कविता...कल्पना को बहुत खूबी से उकेरती है ये कविता । <br />कविता पढ़कर आनंद आ गया ।अनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-39661651760919583702010-10-06T11:01:39.297+05:302010-10-06T11:01:39.297+05:30What is the memory of brain in GB/TBs?
Is there a...What is the memory of brain in GB/TBs?<br /><br />Is there any such estimate?Yogihttps://www.blogger.com/profile/15382350910254695035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-13843738073077899532010-10-04T23:56:13.831+05:302010-10-04T23:56:13.831+05:30मस्तिष्क की भी अपनी सीमाएं हैं-यह स्मरण रहना उच्चत...मस्तिष्क की भी अपनी सीमाएं हैं-यह स्मरण रहना उच्चतर ऊर्जा की ओर अग्रसर होने में सहायक है।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-6300559435260604452010-10-04T19:46:14.587+05:302010-10-04T19:46:14.587+05:30सुन्दर और ज्ञानवर्द्धक आलेख...मस्तिष्क के कार्य कर...सुन्दर और ज्ञानवर्द्धक आलेख...मस्तिष्क के कार्य करने की प्रक्रिया को बड़ी सरलता से समझाया है...rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-3900801022988481822010-10-04T14:17:13.579+05:302010-10-04T14:17:13.579+05:30राम का नाम लेने पर मुझे सीता त्याग याद आता है :).
...राम का नाम लेने पर मुझे सीता त्याग याद आता है :).<br />ज्ञान वर्धक लेख.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-63928275129616015652010-10-04T13:11:54.456+05:302010-10-04T13:11:54.456+05:30शरद जी, बिलकुल अनोखी अनुभूति करा गई आपकी यह पोस्ट।...शरद जी, बिलकुल अनोखी अनुभूति करा गई आपकी यह पोस्ट। आभार एवं बधाई।<br />................<br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">…ब्लॉग चर्चा में आप सादर आमंत्रित हैं।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-62699768410574294672010-10-04T11:49:24.383+05:302010-10-04T11:49:24.383+05:30bahut khub,......
मेरे ब्लॉग पर इस बार ....
क्या ब...bahut khub,......<br />मेरे ब्लॉग पर इस बार ....<br />क्या बांटना चाहेंगे हमसे आपकी रचनायें...<br />अपनी टिप्पणी ज़रूर दें...<br />http://i555.blogspot.com/2010/10/blog-post_04.htmlAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-87121614914048422902010-10-04T10:56:33.498+05:302010-10-04T10:56:33.498+05:30थोडा फलसफा हो जाए!
तुलसीदास जी कह गए, "जाकी...थोडा फलसफा हो जाए! <br /><br />तुलसीदास जी कह गए, "जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत तिन देखि तैसी",,,और जब मैं आज अपनी ही एल्बम में अपनी ही तस्वीरें देखता हूँ तो समझ नहीं आता कि मैं किसको 'मैं' कहूं? क्या इनमें से कोई असली मैं हूँ और शेष नकली? अथवा ये तस्वीरें किसी अनदेखे की हैं, जो मेरे और सबके भीतर भी रहता है और जो काल के साथ-साथ बदलता रूप प्रतिबिंबित करता है?<br /> <br />जब से मैंने हिन्दू-मान्यता के अनुसार जाना कि मानव सौर-मंडल के ९ सदस्यों के माध्यम से महाशून्य का प्रतिबिम्ब है, जब कोई हिन्दू पौराणिक कहानियों में संदर्भित दोनों अलग-अलग काल में 'धनुर्धर' पात्रों, अर्जुन अथवा राम, कहता है तो मुझे सूर्य की याद आती है, जिससे तीर समान किरणें हर दिशा में फ़ैल रही हैं और जो एक राजा समान अपने सौर-मंडल को ४ अरब वर्षों से साक्षात् रूप में वर्तमान में भी रथ समान चलाता आ रहा है...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-4372405345545673872010-10-04T08:02:33.883+05:302010-10-04T08:02:33.883+05:30जिसकी क्षमता से किसी अन्य स्त्री के चित्र में
माँ ...जिसकी क्षमता से किसी अन्य स्त्री के चित्र में<br />माँ का चित्र आरोपित कर हम स्त्री में माँ का रूप देख सकते हैं...<br />कमाल है ये पंक्तियाँ ..<br />कई जानकारियां भी प्राप्त हुई<br />आभार ..!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-27331133123617943152010-10-03T23:35:07.125+05:302010-10-03T23:35:07.125+05:30मनोविज्ञान के आधार पर प्रस्तुत आलेख और कविता प्रभा...मनोविज्ञान के आधार पर प्रस्तुत आलेख और कविता प्रभावशाली है.शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-11805582054383861292010-10-03T20:35:07.235+05:302010-10-03T20:35:07.235+05:30निहायत ही ज्ञानवर्धक आलेख और सुंदर कविता, बहुत शुभ...निहायत ही ज्ञानवर्धक आलेख और सुंदर कविता, बहुत शुभकामनाएं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-36353355578176195862010-10-03T20:15:23.174+05:302010-10-03T20:15:23.174+05:30अरे बाबा, इत्ता गहरा लिखते हैं आप.
बहुत ही बढिया....अरे बाबा, इत्ता गहरा लिखते हैं आप.<br /><br />बहुत ही बढिया........ <br /><br />सार्थक पोस्ट के लिए साधुवाद.दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-73827194278900147632010-10-03T19:22:35.965+05:302010-10-03T19:22:35.965+05:30सुंदर आलेख ..
कविता भी बढिया ..
एतो सबाक ..
रशियन ...सुंदर आलेख ..<br />कविता भी बढिया ..<br />एतो सबाक ..<br />रशियन भी जानने को मिला !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-27039034920272579352010-10-03T14:52:12.090+05:302010-10-03T14:52:12.090+05:30आप जिस सदोद्देश्य को लेकर चले हैं ,
आसन्न भविष्य म...आप जिस सदोद्देश्य को लेकर चले हैं ,<br />आसन्न भविष्य में वह एक आन्दोलन का<br />रूप धारण करे ऐसी मेरी अभिलाषा भी है <br />और विश्वास भी ! शुभकामनाएं !अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-46784901923533259782010-10-03T13:36:39.700+05:302010-10-03T13:36:39.700+05:30बहुत सुंदर लेख ओर सुंदर कविता के लिये धन्यवादबहुत सुंदर लेख ओर सुंदर कविता के लिये धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-16900985870668283172010-10-03T12:04:39.087+05:302010-10-03T12:04:39.087+05:30सही बात है शरद जी | कविता अच्छी लगी | रही बात मन क...सही बात है शरद जी | कविता अच्छी लगी | रही बात मन के पटल पर छबि उभरने की तो आपकी यह बात ठीक है कि जो कुछ पहले से देखा होता है वह छवि दिखना स्वाभाविक है | लेकिन यह त्वरित प्रतिक्रया के तहत होता है | थोड़ा और ध्यान करने पर आपको राम की किसी कैलेण्डर पर बनी तस्वीर की छवि भी आ सकती है |विजय प्रकाश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17982982306078463731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-81097540286705210822010-10-03T09:37:14.068+05:302010-10-03T09:37:14.068+05:30राम को याद करने पर मुझे उनका जीवन चरित्र याद आने ल...राम को याद करने पर मुझे उनका जीवन चरित्र याद आने लगता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-19273404319267990222010-10-03T09:03:44.598+05:302010-10-03T09:03:44.598+05:30आपके ब्लाग पर आ कर प्रसन्नता हुई। एक ही बार में कई...आपके ब्लाग पर आ कर प्रसन्नता हुई। एक ही बार में कई आलेखों का आस्वादन किया। मस्तिष्क की कार्य-प्रणाली विषयक लेख ज्ञान-वर्धक है। आस्था आँख पर पट्टी बाँध देती है। आस्था मनुष्य की सोचने-समझने की शाक्ति को कुंद कर देती है। आस्था के कारण व्यक्ति पर्दे की पीछे चल रहे ठगी के खेल को समझ नहीं पाता। आस्था के नशे में व्यक्ति लुटता रहता है और लुटेरे सबल होते रहते हैं। मनुष्य को गुलाम बनाने की यह एक सोची-समझी चाल है। गुलामी कई प्रकार की होती है परन्तु आस्था संबंधी गुलामी सबसे ख़तरनाक है। मेरे एक गीत की पंक्तियाँ हैं-----<br />==================================<br />’एक गुलामी तन की है,एक गुलामी धन की है.<br />इन दोनों से जटिल गुलामी, बंधे हुए चिंतन की है,<br />चिंतन का पट खुला सदा धरना ही धरना है,<br />भ्रष्ट - व्यवस्था के चंगुल से पार उतरना है,’<br />==================================<br />सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवीडॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.com