tag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post8142266507187537051..comments2023-10-22T17:42:51.216+05:30Comments on ना जादू ना टोना: गर गले नहीं मिल सकता तो हाथ भी न मिलाशरद कोकासhttp://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-6750374912436215092014-05-16T05:53:16.028+05:302014-05-16T05:53:16.028+05:30आज बहुत देर तक आपके ब्लागों की पोस्ट्स पढ़ती रही ...आज बहुत देर तक आपके ब्लागों की पोस्ट्स पढ़ती रही , खूब मन लगता रहा और बहुत अच्छा लगा - फिर आऊँगी . आपका आभार !<br />प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-54039035080300993982014-02-27T21:19:51.616+05:302014-02-27T21:19:51.616+05:30Sahib haiSahib haimaheshnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-9262332967932458492010-11-24T07:36:00.250+05:302010-11-24T07:36:00.250+05:30बहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा! बढ़...बहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा! बढ़िया जानकारी मिली! धन्यवाद!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-25753917733788582492010-11-16T11:21:39.648+05:302010-11-16T11:21:39.648+05:30याद आया कि कैसे हमारी माँ ने हमें बताया कि उन्होंन...याद आया कि कैसे हमारी माँ ने हमें बताया कि उन्होंने रस्सी समझ सांप को उठा लिया था (जो उदाहरण आम तौर पर सत्य और भ्रम समझाने के लिए अधिकतर दिया जाता है)! <br />उनको सुबह-सुबह के हलके प्रकाश में एक दिन फर्श पर कुछ रंग बिरंगी रस्सी सा पड़ा दिखा, और क्यूंकि उन दिनों वे पुरानी साड़ियों की रंगीन किनारी फाड़ के रस्सी के समान बांधने के काम में लाती थीं, सो उन्होंने उसे उठा लिया,,,और फिर उसके लिचलिचे स्पर्श से ज्ञांत हुआ कि वो रस्सी नहीं सांप था, तो उन्होंने घबरा के उसे तुरंत वहीं छोड़ दिया!JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-20011778687249198552010-11-15T08:53:16.670+05:302010-11-15T08:53:16.670+05:30.
उसी तरह हम स्पर्श या दुलार का सुख भी जानते हैं ....<br /><br />उसी तरह हम स्पर्श या दुलार का सुख भी जानते हैं इसलिये बार बार उसे पाना चाहते हैं ...<br /><br />So true !<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-88943623580224189792010-11-15T08:16:06.564+05:302010-11-15T08:16:06.564+05:30अनुकरणीय सीख।अनुकरणीय सीख।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7423911267953135444.post-51261502429063672392010-11-15T07:03:52.303+05:302010-11-15T07:03:52.303+05:30बहुत अच्छी जानकारी ताकि लोग कुछ सीखेबहुत अच्छी जानकारी ताकि लोग कुछ सीखेSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.com