हमारे प्रेमी गण अपनी प्रेमिकाओं से अक्सर कहते थे ..तुम्हारे लिए
आसमां से तारे तोड़कर ले आऊंगा ..यह अलग बात है कि शादी के बाद वे नुक्कड़ के किराने
की दूकान से किराना तक नहीं लाते .. मैंने एक बार ऐसे ही एक प्रेमी से पूछा भाई
तुम यह तारे तोड़ने और उन्हें प्रेमिका की चोटी में गूंथने की बात तो करते हो लेकिन
जानते हो तारे किसे कहते हैं ..जब उसने अनभिज्ञता में सर हिलाया तो मुझे यह पोस्ट
लिखनी पड़ी
उसी तरह अक्सर लोग कहते हैं आजकल मेरे ग्रह खराब चल रहे हैं .. यह
बताने के लिए भी यह जानना ज़रूरी था कि ग्रह क्या है .. सो चलिए यहाँ एक संक्षिप्त
जानकारी पढ़ें ..
सूर्य
या किसी अन्य तारे के चारों ओर परिक्रमा करने वाले खगोल पिण्डों को ग्रह कहते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ के अनुसार हमारे सौर मंडल में आठ ग्रह थे जिनकी संख्या
अब बारह से अधिक हो गई है । बुध, शुक्र, पृथ्वी,
मंगल, बृहस्पति, शनि,
युरेनस और नेप्चून। इनके अतिरिक्त तीन बौने ग्रह और हैं सीरीस, प्लूटो और एरीस ।
प्राचीन खगोलशास्त्रियों ने तारों और ग्रहों के बीच में अन्तर इस तरह किया ।
तारा
क्या है ?
तारे
(Stars)
स्वयंप्रकाशित (self-luminous) उष्ण गैस की
द्रव्यमात्रा से भरपूर विशाल, खगोलीय हैं। इनका निजी गुरुत्वाकर्षण (gravitation) इनके द्रव्य को संघटित रखता है। मेघरहित आकाश में रात्रि के समय प्रकाश के
बिंदुओं की तरह बिखरे हुए, टिमटिमाते प्रकाशवाले बहुत से
तारे दिखलाई देते हैं।रात में आकाश में चमकने वाले अधिकतर पिण्ड हमेशा पूरब की
दिशा से उठते दिखाई देते हैं, एक निश्चित गति प्राप्त करते
हैं और पश्चिम की दिशा में अस्त होते हैं। इन पिण्डों का आपस में एक दूसरे के
सापेक्ष भी कोई परिवर्तन नहीं होता है। इन पिण्डों को तारा कहा गया।
घुमक्कड़
होने के कारण इन्हें ग्रह कहते हैं
पर
कुछ ऐसे भी पिण्ड हैं जो बाकी पिण्डों के सापेक्ष में कभी आगे जाते थे और कभी पीछे
- यानी कि वे घुमक्कड़ थे। Planet एक लैटिन का शब्द है,
जिसका अर्थ होता है इधर-उधर घूमने वाला। इसलिये इन पिण्डों का नाम Planet
और हिन्दी में ग्रह रख दिया गया।
शनि
के परे के ग्रह दूरबीन के बिना नहीं दिखाई देते हैं, इसलिए
प्राचीन वैज्ञानिकों को केवल पाँच ग्रहों का ज्ञान था, पृथ्वी
को भी उस समय ग्रह नहीं माना जाता था।
नासा
के केपलर अभियान के तरह दो सितारों की परिक्रमा कर रहे एक नए ग्रह की खोज की है।
यह ग्रह 'हैबिटेबल जोन' (रिहायश के लायक क्षेत्र) में दो
सितारों की परिक्रमा कर रहा है।
इस
ग्रह की पहचान केपलर 453बी के रूप में हुई है और यह केपलर मिशन द्वारा खोजा गया दो
सितारों का परिक्रमा करने वाला 10वां ग्रह है।वैज्ञानिकों ने धरती की ही तरह दिखने
वाले एक नए ग्रह की खोज की है। ये ग्रह G2 नाम के सितारे की
परिक्रमा कर रहा है और इन दोनों के बीच भी उतनी ही दूरी है, जितनी
पृथ्वी और सूर्य के बीच। G2 सूर्य की तरह ही एक सितारा है।
इस ग्रह की खोज केपलर टेलिस्कोप (Kepler 452b) की मदद से की गई है, जो साल 2009 से दूसरी दुनिया की
खोज में लगा हुआ है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये नया ग्रह
हमारी पृथ्वी से 1,400 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है।
ग्रहों
की यह खोज निरंतर जारी है भविष्य में और कई नए गृह खोजे जाने की संभावना है ।
ज्योतिष
में पृथ्वी नाम का कोई ग्रह ही नहीं है
ज्योतिष
के अनुसार ग्रह की परिभाषा अलग है। भारतीय ज्योतिष और पौराणिक कथाओं में नौ ग्रह
गिने जाते हैं,
सूर्य, चन्द्रमा, बुध,
शुक्र, मंगल, गुरु,
शनि, राहु और केतु।
विज्ञान
की दृष्टि से देखा जाये तो सूर्य ग्रह नहीं बल्कि तारा है । चन्द्रमा गृह नहीं
बल्कि उपग्रह है तथा ,
राहू और केतु नामक ग्रह
काल्पनिक हैं और इनका सौर मंडल में कोई
अस्तित्व नहीं है । जिस ग्रह पृथ्वी
पर हम रहते हैं उसका भी इन नवग्रहों में उल्लेख नहीं है ।
भारत
के अलावा विश्व की सभी प्राचीन सभ्यताओं यथा ,मिस्त्र , बेबिलोनिया ,मेसोपोटामिया , यूनान
आदि में खगोलशास्त्र पर बहुत काम हुआ है और ब्रह्माण्ड उसकी उत्पत्ति स्वरूप आदि
के बारे में मान्यताएं विकसित हुईं ।
शरद
कोकास