वैज्ञानिक चेतना के ब्लॉगर्स सलाह दें
ब्लॉगिंग की दुनिया में घोषित रूप से वैज्ञानिक दृष्टि में विश्वास रखने वाले ब्लॉग्स बहुत कम है जिनमें ब्लॉग कुदरतनामा के ज़रिये श्री बाल्सुब्रमणियम भुजंग के ज़रिये सुश्री लवली कुमारी और श्री अरविन्द मिश्रा तथा साईंस ब्लोगर असोसिएशन एवं तस्लीम के माध्यमसे श्री ज़ाकिर अली रजनीश , डॉ.अरविन्द मिश्रा,श्री ज़ीशानहैदर ज़ैदी सुश्री अर्शिया अली और् कवि कुमार अम्बुज जैसे लोग यह काम बखूबी कर रहे हैं.वर्तमान समय में इस बात की आवश्यकता है कि सामान्य जन के भीतर न केवल वैज्ञानिक दृष्टि अपितु इतिहास बोध भी जागृत किया जावे.वस्तुत: वर्तमान दौर में पूंजीवाद ने बाज़ार के साथ-साथ धर्म पर भी आधिपत्य कर लिया है. यह इतनी चालाकी के साथ हुआ है कि पूरी नई पीढी इसकी चपेट में आ गई है.धार्मिक जुलूस पहले भी निकाले जाते थे लेकिन अब उनमें उन्माद का प्रदर्शन होने लगा है.एक धर्म की प्रतिद्वन्दिता में दूसरा धर्म इस उन्माद का प्रदर्शन और अधिक ज़ोर शोर से करता है.धर्म और ईश्वर पर अवलम्बिता बढती ही जा रही है अत: धार्मिक स्थलों पर भीड भी बढने लगी है.ईश्वर को चढाये जाने वाले प्रसाद ने अब घूस का रूप धारण कर लिया है और मनुष्य तथाकथित पाप से मुक्त होकर तमाम अनैतिक कार्यों में लिप्त रहने लगा है.मनुष्य की धर्मभीरुता और अन्धविश्वास के प्रति सकारात्मक सोच के फलस्वरूप न केवल धर्म की शक्तियाँ बल्कि बाज़ार की शक्तियाँ तथा राजनैतिक शक्तियाँ भी इसका लाभ उठाने में लगी हैं.इसलिये अन्धश्रद्धा का शिकार होने या तांत्रिकों द्वारा ठगे जाने को अब केवल किसीकी व्यक्तिगत हानि मानकर नज़र अन्दाज़ नहीं किया जा सकता.अन्द्धश्रद्धा निर्मूलन समिति,तर्कशील सोसायटी और अन्य संस्थाओं द्वारा दिये गये चमत्कार साबित करने विषयक चेलेंज को स्वीकार करने हेतु कोई पाखंडी बाबा या ज्योतिषी सामने नहीं आता इसलिये कि वे जानते हैं अन्धश्रद्धालू जनता जब तक उनके साथ है वे धनार्जन करते रहेंगे.सत्ताधीशों और पूंजीपतियों का प्रश्रय भी उन्हे प्राप्त है.ड्रुग एण्ड मेजिकल रेमेडी एक्ट 1954 में लागू हुआ था लेकिन इसके तहत अब तक कितने लोगों पर कारवाई हुई है? हमारे शहर मे कोई बाबा आता है किसी लॉज में ठहरता है,स्थानीय अखबार में विज्ञापन देता है और पुत्र उत्पन्न होने की भभूत बेचकर पैसा लूटकर चला जाता है. कितने लोग है जो इस बात की शिकायत करते है.कितने लोगों को पता है कि इस एक्ट के अंतर्गत न केवल बाबा पर बल्कि अखबार के मालिक पर भी मुकदमा दायर किया जा सकता है.दर असल यह सब आम जन के बीच वैज्ञानिक चेतना ना होने की वज़ह से है .और इस चेतना के प्रसार के लिये जनता के उचित प्रशिक्षण की आवश्यकता है.लेकिन प्रश्न यह है कि यह सब कौन करेगा.क्या हमारे जैसे चन्द ब्लॉगर मिलकर इस काम को कर सकेंगे? वर्षों से अनेक संस्थायें इस दिशा में कार्य रत हैं लेकिन यह समस्या कम होने की बजाय बढती ही जा रही है. फिर भी यह निराश होने का समय नही है.मिल जुल कर मनुष्य को इस मनुष्य निर्मित आपदा से बचाया जा सकता है.
मै अपने स्तर पर यह कार्य कर रहा हूँ.तथा स्कूलों,कॉलेजों मे छात्रों के बीच जाकर अपने व्याख्यान "मस्तिष्क की सत्ता' के माध्यम से वैज्ञानिक दृष्टि का प्रसार करता हूँ.इस व्याख्यान को रोल प्ले तथा सहायक सामग्री फ्लिप चार्ट आदि की सहायता से मैं प्रस्तुत करता हूँ.इसके अंतर्गत बृह्मांड की उत्पत्ति से लेकर सूर्य,गृहों व पृथ्वी के जन्म ,मनुष्य के जन्म तथा उसके आज तक के विकास में अथवा उसके अन्धविश्वास में उसके मस्तिष्क की भूमिका,व्यक्तित्व का विकास,संस्कारों की भूमिका ,आत्मा का अस्तित्व,मनोविज्ञान के laws of suggetions भूत-प्रेत व ढोंगी बाबाओं के किस्से आदि को मै अत्यंत रोचक एवं मनोरंजक ढंग से समझाताहूँ.कवितायें, चुटकुले,मीमीक्री आदि तत्वों से युक्त मेरा प्रस्तुतिकरण इतना रोचक होताहै कि लगभग ढाई-तीन घंटे कोई अपने स्थान से हिलता नही हैं.इतनी देर मे सारे अन्धविश्वास दिमाग से निकल जाते है. ब्लॉग के माध्यम से इस आवश्यक एवं महत्वपूर्ण कार्य को करने वाले अपने अनेक साथियों को देखकर मुझमें आशा का संचार हुआ है और यह विचार मन में आया है कि इस व्याख्यान को स्क्रिप्ट का स्वरूप देकर और इसकी रोचकता को यथावत रखकर इसे ब्लॉग पर प्रस्तुत करूँ.आप सभी शुभचिंतकों,ब्लॉगर्स एवं पाठकों की राय इस बारे में आमंत्रित है. इसे यह नया स्वरूप देने में मुझे कुछ समय लग सकता है.तब तक बाबाओं के किस्से,पोल खोल के किस्से और चमत्कारों का भंडाफोड आदि चलते रहेंगे. कृपया इस बारे मे सुधी साथी मुझे सुझाव दें ।
आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद । प्रकाशन के पहले ..कल एक निवेदन और करना चाहूँगा .. उस पर भी एक नज़र डालियेगा - शरद कोकास
शरद जी हमारे समाज मे जेसे जेसे पाप बढता है, वेसे वेसे आदमी भगवान से डरता है, ओर फ़िर वो सोचता है कि मंदिर मस्जिद या गुरदुवारे मै चढावा चढा कर अपने पापो से मुक्ति पा ले गा, ओर फ़िर इन ढोंगी बाबाओ की शरण मै जाता है, ओर् यह बाबा लोग अपना प्रचार इतना करवते है कि दुखी आदमी ( अमीर भी दुखी है ओर गरीब भी) इन के पास जाते है, ओर यह बाबा लोग फ़िर इन्हे चमत्कार दिखा कर लुटते है, ऎसे लोग हमारे समाज मै हमारे परिवार मै, हमारे आस पडोस मै बहुत मिल जायेगे, इन्हे समझा पाना बहुत कठिन है, यानि यह लोग नही समझेगे, उस से अच्छा है इन बाबा लोगो की करतूतो पर नजर रखे... ओर मोका मिलते ही इन्हे जुते मरवाये, यह शुभ काम हम बचपन मै कर चुके है,
जवाब देंहटाएंजनता को समझाना बहुत ही कठिन है, यह जनता रोजाना देखती है इन बाबाओ की आसलियत, लेकिन इन का बाबा तो शरीफ़ होता है
इन्तजार रहेगा कल..
जवाब देंहटाएंशरद जी,
जवाब देंहटाएंइस महत्ती कार्य के श्रीगणेश के लिए आपको साधुवाद...ऐसे प्रयासों की देश को सख्त ज़रूरत है...जहां गणेश जी की मूर्तियां दूध पीने लगें...चित्रों से विभूतियां निकलने लगें, वहां युवा मस्तिष्कों को ऐसे अंधविश्वासों से दूर रखने के लिए हर संभव कोशिश की जानी चाहिए...इस काम में हम सब आपके साथ हैं...
जय हिंद...
हार्दिक शुभकामनाये...
जवाब देंहटाएंregards
बहुत सराहनीय कार्य है । हम आपके साथ हैं बस हुक्म करें । अगली पोस्ट का इन्तजाए रहेगा। धन्यवाद
जवाब देंहटाएं" behad khushi hui aaj aapke blog per aaker ..aap bahut hi mahtvpurn kary karne ja rahe hai ....fir bhi kal intezar rahega ."
जवाब देंहटाएं---- eksacchai { AAWAZ }
DP in Hindi
जवाब देंहटाएंISO Full Form
Communication Means In Hindi
Mass Communication Means In Hindi
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