बुधवार, 14 अक्तूबर 2009

"मुझे कर्णपिशाचिनी की सिद्धी प्राप्त है । "

"मैं बिना देखे कानों से सब कुछ पढ़ सकता हूँ ।" अगर आप भी पढ़ना चाहते हैं तो इसे ध्यान से पढ़ें ।                                                                                                                                
                उस विवाह समारोह मे एक कोने में मजमा जमाये बाबा यही तो कह रहे थे । भीड़ के बीच उन्होने ऐलान किया कि वे इस बात का प्रदर्शन भी कर सकते हैं । उन्होने लोगों से कहा कि वे उनके मन की बात कानों से पढ़कर जान सकते हैं । बस इसके लिये लोगों को एक चिट पर एक पंक्ति में अपने मन की बात लिख कर देना होगा । उनके सहयोगी ने लगभग 10-12 लोगों को कागज़ का एक –एक टुकड़ा दिया लोगों ने उस पर अपने मन की कोई एक बात लिखी और उसे तीन चार परतों में मोड़कर एक कटोरे में रख दिया ।
               मैं यह सब तमाशा देख रहा था । मुझे पता था बाबा क्या ट्रिक करने जा रहे हैं । सो मैने भी एक कागज़ पर कुछ लिखा और कटोरे में डाल दिया ।
               बाबा ने एक चिट उठाई उसे कानों के पास ले जा कर कुछ सुनने का प्रयास किया और ऐसे सर हिलाया जैसे वे जान रहे हों उस चिट में क्या लिखा है । फिर उन्होने ज़ोर से कहा “ यह किसने लिखा है ,”कर्ण पिशाचिनी देवी की जय ? “ भीड़ में से एक व्यक्ति ने हाथ उठाया और कहा “ महाराज मैने लिखा है ।“ बाबा ने कहा “ शाबास “ और उसे पास बुलाकर स्वयं चिट खोलकर देखी और उसे दिखाकर कहा “ लो देख लो ,सत्य है या नहीं ।“
               फिर न्होने दूसरी चिट उठाई उसे कान के पास ले जाकर कुछ सुनने का प्रयास किया और कहा “ यह किसने लिखा है .. “देश के सारे पढ़े-लिखे मूर्ख हैं “ एक क्षण के लिये सभीने इधर-उधर देखा ,भीड़ में से एक व्यक्ति ने कहा “ मैने लिखा है ।“ सभी लोग बाबा के कानों से पढ़ने के इस चमत्कार को ध्यान से देख रहे थे । फिर बाबा ने तीसरी पर्ची उठाई उसे कान के पास ले जाकर सुना और पूछा “ किसने लिखा है इस साल देश में बारिश नहीं हुई ? “
               भीड में से एक व्यक्ति ने हाथ उठाया । फिर चौथी पर्ची सुनकर उन्होने कहा “ और यह किसने लिखा है कि सारे बाबा लोगों को ठगते हैं ।“ इतना कहकर वे मन्द-मन्द मुस्काये । फिर भीड में से एक व्यक्ति ने हाथ उठाया । पांचवी पर्ची वे कान के पास ले गये और पूछा “ यह किसने लिखा है मुझे चॉकलेट मीठी लगती है ? “इस सवाल पर एक बच्चे ने हाथ उठाया ।
                मै बहुत ध्यान से देख रहा था कान से पर्ची पढ़ने के बाद वे एक नज़र उस पर डाल लेते थे और उसे अलग रख देते थे । यह चोकलेट वाली पर्ची पढ़ते समय उनकी भवें किंचित तन गई । अगली पर्ची वे फिर कानों के पास ले गये और यह क्या वे अचानक क्रोधित हो गये “ यह कौन मूर्ख है जो देवी को क्रोध दिला रहा है , जाने किस विदेशी भाषा मे लिखा है यह सब नहीं चलेगा ,देवी श्राप दे देगी । माहौल बिगड़ चुका था ,
                लेकिन मैने आगे बढ़कर कहा “यह कैसी देवी है जो यह भी नहीं पढ़ सकती । लाइये मैं पढ कर बताता हूँ अपने कान से कि इसमें क्या लिखा है ।“
                पता नहीं बाबा को क्या हुआ मुझे जवाब देने की बजाय वे पैर पटकते हुए वहाँ से निकल गये । लोग आपस में बात करने लगे..”बड़े पहुंचे हुए महात्मा हैं जाने किस बेवकूफ ने इन्हे नाराज़ कर दिया ।“ लोगों की बात सुनकर मैं आगे बढ़ा और मैने कहा “ रुकिये, मै बताता हूँ इस पर्ची में क्या लिखा है । “लोग वहीं ठहर गये ।   
                बाबा जिस पर्ची को फेंककर चले गये थे वह पर्ची वहीं पड़ी थी मैने उसे उठाया और कान के पास ले जाकर कहा “ इसमे लिखा है ज़्द्रास्तुयते एतो सबाक दस्वीदानिया ।“ लोग इधर उधर देखने लगे । मैने कहा यहाँ वहाँ मत देखिये ,यह मैने ही लिखा है । फिर मैने अगली पर्ची उठाई और उसे कान के पास ले जाकर कानों से उसे पढ़ने का अभिनय करते हुए कहा “इसमें लिखा है “इस साल बहुत तेज़ गर्मी पड़ेगी ।“ भीड़ में से एक व्यक्ति ने हाथ उठाकर कहा “ सर यह मैने लिखा है ।“ इस तरह मैने सारी पर्चियाँ कान से पढ़कर सुना दी । लोगों ने कहा “ हमे नहीं पता था सर आप को भी कर्नपिशाचिनी सिद्ध है ।
                मैने कहा नहीं भाइयों ऐसा कुछ नहीं है । यह एक ट्रिक है । आपने देखा होगा बाबा ने जब पहली पर्ची उठाई और कहा ‘कर्णपिशाचिनी की जय’ किसने लिखा है तो जिस व्यक्ति ने हाथ उठाया था वह बाबा का सहयोगी था और उसे पहले से यह इंस्ट्रक्शन थे कि वह इस बात पर हाथ उठाये । इसके बाद बाबा ने वह पर्ची खोलकर खुद पढ़ी और उसे भी दिखाई ,दरअसल उस पर्ची में लिखा था “देश के सारे पढ़े-लिखे मूर्ख हैं ।‘ इसके बाद बाबा ने अगली पर्ची उठाई ,उसे कान से पढा और कहा, इसमे लिखा है ‘देश के सारे पढ़े-लिखे मूर्ख हैं ।‘ और उसे खोलकर मन मे पढ़ा । दरअसल उस पर्ची में लिखा था “इस साल देश में बारिश नहीं हुई ‘ इस मैटर को इसके बाद आनेवाले के लिये उन्हे कहना था ।
               इस तरह वे पर्ची खोलकर पहले ही पढ लेते थे और उस बात को ध्यान में रखकर ,अगले से जोड़कर कह देते थे । लोग इस बात के भ्रम मे रहते थे कि वे कान से पढ रहे हैं । बस इस खेल मे पहला व्यक्ति अपना होना चाहिये जो आपकी बात पर हाँ कहे ,जैसे इस खेल में ‘कर्णपिशाचिनी की जय’ लिखी हुई कोई पर्ची ही नहीं थी । “अच्छा यह बात है “ लोगों को यह ट्रिक समझ में आ गई थी ।“ तो सर इसे तो हम भी कर सकते हैं ? “
                मैने कहा “बिलकुल कीजिये लेकिन कर्णपिशाचिनी या किसी भी देवी का नाम लेकर मत कीजिये ऐसी कोई सिद्धी या चमत्कारिक शक्ति नही होती ।“
                “लेकिन सर आपने अपनी पर्ची में क्या लिखा था ?” एक व्यक्ति ने आखिर पूछ ही लिया “ मैने कहा उसमें रशियन लिपि में लिखा था “एतो सबाक दस्वीदानिया,ज़्द्रास्तुयते “ । यानि यह श्वान है ..मै चलता हूँ ,नमस्ते । लोग हँसने लगे ,,अच्छा हुआ बाबा को रशियन नहीं आती थी वरना ... ।
                    चलिये आप लोगों को भी यह ट्रिक समझ में आ गई हो तो आप लोग भी शादी-ब्याह ,पार्टी-शार्टी, पिकनिक –विकनिक में इस ट्रिक को कीजिये और लोगों का मनोरंजन कीजिये ।                     हाँ  इतना ज़रूर लोगों से कहें कि पर्ची में सिर्फ और सिर्फ हिन्दी में लिखें । और कान के बारे में यही कि  अफवाहों पर कान न दें , ज़्यादा कानाफूसी न करें  कर्णप्रिय बातें करें साथ ही कान में नुकीली वस्तु न डालें । - आपके कान ताउम्र सलामत रहें इस कामना के साथ ..............आपका  शरद कोकास    
छवि गूगल से साभार