गुरुवार, 3 दिसंबर 2009

अरे वा ! ..श्रीदेवी की फोटो से भी भभूत निकलती है ..कमाल है !!!


यह लगभग पन्द्रह वर्ष पुरानी घटना है । एक दिन  सड़क पर वर्मा जी मिल गये बहुत उत्साह से बताने लगे “शरद जी पता है कल पाण्डे जी के यहाँ भजन था और एक चमत्कार हो गया ,हम लोगों ने गाना शुरू ही किया था कि अचानक बाबा की फोटो से भभूत झड़ने लगी ,पाण्डे जी ने सबका ध्यान आकर्षित करवाया ,हम लोगों ने वह भभूत माथे पर लगाई । सचमुच बाबा में बहुत शक्ति है वरना कलयुग में ऐसा चमत्कार कहाँ होता है ?
मैने कहा “वर्मा जी ,आप भी कहाँ इन बातों में विश्वास करते है यह सब चमत्कार नहीं विज्ञान के प्रयोग हैं । बस इतना कहा था मैने कि वर्मा जी चिढ़ गये ..” देखिये आपको नहीं मानना है तो नहीं माने लेकिन बाबा पर अविश्वास तो न करें । मैने फिर कहा “ मै बाबा पर अविश्वास नहीं कर रहा हूँ मैं तो पाण्डे जी द्वारा किये चमत्कार की बात कर रहा हूँ जिसके पीछे विज्ञान का एक साधारण सा प्रयोग है ।“
खैर वर्मा जी तो उस दिन मान गये लेकिन यह बात मन में गूंजती रही ।फिर एक दिन नागपुर की अन्धश्रद्धा निर्मूलन समिति के उमेश बाबू चौबे ,गणेश हलकारे व हरीश देशमुख जी ,साक्षरता समिति के तहत एक शिविर मे दुर्ग पहुंचे तो उनसे मैने यह किस्सा बताया । गणेश भाई हँसने लगे ,कहा “ इसमे कौनसी बड़ी बात है..देवी देवताओं के चित्र से तो भभूत हम भी निकालते हैं अभी उस दिन नागपुर में हमने “श्रीदेवी” की फोटो से भभूत निकाली है ।चलिये घोषणा करवा दीजिये कल यहाँ के किसी सार्वज़निक स्थान पर यह प्रयोग करें ।“ मैने कहा “ठीक है .. अखबारों में विज्ञप्ति दे दी गई “ कल शाम पाँच बजे पुराने बस स्टैंड पर एक आम सभा में आइये और देखिये श्रीदेवी की फोटो से भभूत कैसे निकलती है ।“
तुरंत ऑर्डर देकर एल्युमिनियम की फ्रेम में जड़ी श्रीदेवी की एक तस्वीर तैयार करवाई गई, मंच तैयार किया गया और उस पर एक कुर्सी रखी गई जिस की पीठ से टिकाकर  श्रीदेवी को विराजित किया गया ,बाकायदा अगरबत्ती लगाई गई ,फूल चढ़ाये गये और लोगों ने देखा कि कुछ देर में उस फोटो के काँच पर भभूत गिरने लगी है ।
इस बीच हमारे कार्यकर्ता लोगों को अन्य प्रयोग कर के भी दिखा रहे थे ।इस चमत्कार के बारे में कुछ लोगों ने पूछा तो बताया गया यह तो बहुत आसान है । अल्युमिनियम की फ्रेम पर चुपचाप मर्क्युरस क्लोराइड का पाउडर लगा देते हैं जो सफेद होता है और आसानी से दिखाई नहीं देता थोड़ी देर में दोनों की रासायनिक क्रिया शुरू हो जाती है और  उससे जो पदार्थ तैयार होता है वह भभूत जैसा दिखता है ।एक कार्यकर्ता ने बोर्ड पर यह फार्मूला ही लिख दिया ।
              6Hg2Cl2+2Al = 2AlCl3+3Hg2Cl2+6Hg
वर्मा जी को तो वहाँ पहुंचना ही था वे आये और उन्होने श्रद्धा भक्ति के साथ श्रीदेवी की तस्वीर के आगे हाथ जोड़े और कहा “ देखा बाबा का चमत्कार , श्रीदेवी जी की फोटो में भी प्रकट हो गये ।“ हम लोग हँसने लगे । समिति सचिव डी.एन.शर्मा जी ने उनसे कहा “धन्य हो प्रभु , इस देश की जनता हर स्त्री में इसी तरह भगवान का वास ही मानने लगे तो भले ही अपने अन्धविश्वास न दूर करे ,कम से कम उनके आगे हाथ जोड़ कर उनका सम्मान तो  करने लगे  ।“
घोषणा : यह किस्सा सौ प्रतिशत सत्य है – आपकी राय ?- शरद कोकास

छवि गूगल से साभार

41 टिप्‍पणियां:

  1. हर स्त्री का माथा एल्युमीनियम का बना कर भभूत झाड़नी पड़ेगी। फिर वे हाथ जोड़ लेंगे।

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  2. पढे लिखे लोग भी इतना अंधविश्‍वासी कैसे हो जाते हैं .. हमारे गांव में तो ऐसे बाबाओं को कोई टिकने भी न दे !!

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  3. अन्धविश्वासो से जकडे लोग फिर भी मानने को तैयार नही हुए होंगे.
    यही तो बिडम्बना है

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  4. लोगों को बस चमत्कार चाहिए...वो उसके आगे और पीछे की बातों को जानने में दिमाग़ खर्च करना ही नही चाहिए..
    अब तो मसालों का देश बन गया है भारत लोग अपने अपने काम की चीज़ ढूढ़ ही लेते है और कोई चाहे कितना भी उन्हे उस प्रभाव से निकलना चाहे बड़ा मुश्किल है उनका निकल पाना...

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  5. जय होय श्रीदे्वी माता की, गांव मे पहले ऐसे ही ठगते थे, श्री देबी के फ़ो्टो पे भी नारियल चढाने भीड़ लग जाती और मंदिर बन जाता, आप जैसे कुछ जागरुक लोगों ने पोल खोल दी वर्ना....

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  7. अब क्या कहें ,कहाँ तक समझाएं ...किस किस का कारण समझाइएगा ..अन्धविश्वास का कोई इलाज़ नहीं.

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  8. अरे वा ...! न जादू न टोना ..फिर भी भभूत निकल पड़ी ..हा हा हा ..

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  9. शरद जी जिस देश मै करोडो लोग पत्थर से बनी मुर्ति को दुध पिलाते हो, उस देश मै यह बाते आम है, वेसे एक बात है यह सब बकवास है लेकिन कोन मानेगा मेरी या आप की बात.

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  10. हमेशा भभूत ही क्‍यों निकलती है । अनाज वगैरह निकलने लगे तो किसानों को आत्‍महत्‍या न करनी पडे । जब मूर्तियॉं दूध पी सकती हैं तो और क्‍या कहा जाय ।

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  11. शारद भाई

    ये क्या किया आपने?

    श्री देवी की कौन सी फोटो लगा दी.

    हम उसे ही देख रहे थे कि एकाएक कम्प्यूटर स्क्रिन से भभूत गिरने लगी. वो ही माथे पर लगा कर अभिभूत(अभी + भभूत)(वो आपने भी एक फार्मूला लिखा है न, इसीलिए) सा बैठा हूँ.

    स्क्रीन बदलूँ तो (श्री) देवी को नाराज करुँ...न बदलूँ तो टिपियाऊँ कैसे याने बाकी ब्लॉगर को नाराज करुँ.

    कुछ उपाय तुरंत सुझाईये.

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  12. बेचारा बोनी कपूर...

    जय हिंद...

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  13. हा हा हा हा ये किस्सा भी कम मजेदार नहीं, और हमारे देश में आज भी तो अंधविश्वास की कमी नहीं है.....


    regards

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  15. .
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    .
    आदरणीय शरद जी,

    6Hg2Cl2+2Al = 2AlCl3+3Hg2Cl2+6Hg

    इस रिऐक्शन में उष्मा भी निकलती है बाहर, इससे जुड़ा एक वाकया याद आता है, BSc में था तब मैं, एक बार कॉलेज से घर पहुंचा तो बहन ने बताया कि घर में तीन बाबा आये थे, उन्होंने माँ के हाथ में एक दस पैसे का सिक्का देकर देवी का ध्यान करने को कहा, थोड़ी देर में माँ के हाथ का सिक्का गर्म होने लगा और हाथ खोलने पर भभूत भी दिखाई दी, बाबा लोग बताये कि उन्होंने उस सिक्के में देवी को जागृत कर दिया है, चमत्कृत माँ ने अपने पास की सारी नगदी दे दी उनको।
    मुझे माजरा समझते देर न लगी और भाई व दोस्तों को लेकर बाबाओं को ढूंढने मिकल पड़ा, थोड़ी दूर में ही मिल गये तीनों, दो तीन थप्पड़ खाते ही उन्होंने माल निकाल कर दे दिया।

    यह तो हुई मेरी बात, पर अंधविश्वास की जड़ें बहुत गहरी हैं... अब अल्पना जी की टिप्पणी को ही देख लें...

    "लेकिन मैंने तस्वीर से शहद ,सिंदूर ,चंदन [dono taraf ka..[laal aur safed]और अमृत निकलता देखा है..मैं ने ही नहीं बहुत से लोगों ने ...एक दिन नहीं .. सालों तक..कहाँ और कब यह विस्तार से बाद में यहीं टिप्पणी में लिखूँगी . ...unka bhi scientific reason batayeeyega..kyunki mujhe bhi samjh nahin aaya ab tak..."

    अल्पना जी अमृत नाम की कोई चीज नहीं होती हकीकत में...रही बात और चीजों के निकलने की... तो जिस घर या मंदिर में ऐसा हो रहा होता है... वहाँ का ही कोई व्यक्ति अपने क्षुद्र स्वार्थों के चलते इन चीजों को योजनाबद्ध तरीके से प्रकट करा रहा होता है। शहद, सिन्दूर और चंदन तो काफी काम्पलेक्स पदार्थ हैं पानी की एक बूंद या रेत का एक कण भी शून्य में से पैदा नहीं कर सकता कोई आदमी, तस्वीर, बाबा, स्वयंभू भगवान यहाँ तक कि स्वयं ईश्वर (यदि है, तो) भी...

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  16. andhvishvaas ne logon ko is kadar jakad rakha hota hai ki unhein kitna bhi samjhaiye unke baat samjh nahi aati. kissa waise majedar tha.

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  17. नम्स्तुभ्यम...नमस्तुभ्यम....नमस्तुभ्यम श्री देवी:
    जय हो!!
    :)

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  18. हमारे देश में आज भी तो अंधविश्वास की कमी नहीं है.....

    बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट...........










    खुशदीप भैया से सहमत............. बेचारा ......... बोनी कपूर.......

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  19. अजी पहले बता देते तो हम भी थोडी श्रीदेवी की भभूत को अपने माथे से लगा कर अभिभूत हो लेते। :)

    प्रणाम स्वीकार करें

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  20. Sarad ji,
    I tried to type in hindi but transliteration is not working and baraha /quill pad is so difficult.
    If you accept..i will write my experience in english here.

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  21. part-1
    सबसे पहले तो मैं यह बता दूं की ना तो मैं अंधविश्वासी हूँ ना मैं इन पाखण्डो में यकीन रखती हूँ.लेकिन अपनी आँखों देखा ek अनुभव आप को बताना चाहती हूँ .
    कोई १५ साल pahle kee bat hai-दिल्ली में एक shri पांडे जी रहा करते थे.इत्तेफ़ाक़ है की आप की पोस्ट में भी एक पांडे जी ही हैं.
    Shri पांडे जी Delhi ke मौसम विभाग में गजेट रेंक के उच्च पदाधिकारी थे.उनकी पत्नी सत्य साई बाबा की अनन्य भकत हैं.वहाँ हम एक औपचारिक भेंट के लिए गये थे.उनके घर के कमरे में एक कमरा उन्होने मदिर जैसा बनाया हुआ था.उसमें सभी भगवानो की तस्वीरें थी.हिंदू bhagwaan ही नहीं बल्कि प्रभु यीशू और गुरुनानक jee की तस्वीरें भी वहाँ थी.वहाँ जो मैं ने देखा wah मुझे आश्चर्यचकित कर गया.
    jaankari ke liye बता दूं- ना तो वहाँ कोई पैसे चढ़ाने के लिए कोई पात्र tha..ना ही वहाँ किसी तरह की कोई bhent स्वीकारी जाती थी...उनके यहyahan सिर्फ़ जानपहचान के ही लोग आते थे.हर वीरवार साई कीर्तन अवश्य होता था.वे सभी ज़मीन से जुड़े बेहद साधारण log hain.
    वहाँ मैं ने जो देखा -विभिन्न भगवानो की कोई २० -३०तस्वीरें होंगी,२-३मूर्ति भी थी.हर तस्वीर के नीचे एक प्लेट रखी हुई थी.poochhne की ज़रूरत ही नहीं थी--दिख रहा था.किसी फोटो से भभूत झड़ रहा था किसी से kuchh-विवरण देती हूँ-example--बाबा की तस्वीर से विभूति-[जाहिर है]प्रभु यीशू और गुरु नानक जी की तस्वीरें जो दीवार पर थी.उनसे शहद ..देवी दुर्गा की तस्वीर से सर से सिंदूर [इतना अधिक निकले जा रहा था--की उन्होने मेरे सामने प्लेट बदली थी[ सिंदूर/या जो भी था--कुमकुम ]हम bhi अपने साथ लाए.जो भारत में अभी तक मेरे पास रखा है.aur सुनीए हनुमान जी की मूर्ति से लाल चंदन झड़ रहा था..और Shirdi Sai बाबा की एक तस्वीर से पीला चंदन..कृष्ण जी की मूर्ति से उनके होठों के कोर से मेरे सामने देखते -एक बूँद पानी की टपकी जिसे वे अमृत कह रही थी.मैं ne उन तस्वीरों को उठा कर उनके पीछे भी देखा..की कहीं कोई ट्यूब तो nahin rakhi है..
    [cont..]

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  22. tippani-ka part-2

    और मुझे यही बताया गया की जब tak वे उस घर में रहे यह सब होना जारी रहा...पांडे जी वहीं से seva निवृत हो kar ,dusre sthan par rah rahe hain.
    यह बात वहाँ बहुत लोगों को maluum थी और मेरी तरह jigyavash लोग देखने के लिए bhi जाते थे.
    मुझे खुद आज तक यह समझ नहीं आया की wah सब जो देखा था wah क्या था??राख-भभूत बनाने के बारे में हमे भी मालूम था लेकिन बाकी जो सब देखा wah कैसे उन तस्वीरों में से आ रहा था...श्रीमती पांडे खुद भी परेशान रहती थी क्योंकि सब सॉफ सफाई उन्हें ही देखनी होती थी.और इन सब को अलग ekatr करना भी एक अलग ज़िम्मेवारी थी.
    इन पदार्थों को बनाना मुश्किल है magar सब वहाँ कैसे आ रहा था.जो मैं ने ही नहीं ,ना जाने kitne लोगों ने उन के घर में देखा होगा.main ne to kayee bar socha bhi ki unke ghar abhi tak koi TV channel wale kyon nahin pahunche...kyun ki is tarah ki baton ka scientific reason har koi jaNna chahta hai.
    --------------------------------------

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  23. श्री देवी को चुनने का कोई खास कारण उनके नाम में देवी शब्द है इसलिए ? आजकल तो शायद कटरीना टॉप में हैं :)
    भ्रांतिया विज्ञानं जगत में भी हैं .

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  24. अल्पना जी सर्वप्रथम इस बात के लिये आपको बधाई कि आपने स्वीकार किया है कि आप अन्धविश्वासी नहीं है । मैं आपकी इस बात के आलोक में ही आप के इस अनुभव का विश्लेषण करना चाहता हूँ । जितने भी ऐसे “चमत्कार” होते हैं उनके पीछे तीन प्रमुख कारण होते हैं 1.हाथ की सफाई, 2.उपकरणों की बनावट और 3.रासायनिक वस्तुओं का प्रयोग । हम अपनी क्षमता के अनुसार ही उन्हे देखते हैं जैसे कि फोटो से भभूत निकालने के प्रयोग मे फोटो को साफ करते हुए या माला पहनाते हुए कब उसकी एल्युमिनियम की फ्रेम में मर्क्युरस क्लोराइड लगा दिया जाता है पता ही नहीं चलता । फोटो की फ्रेम इस तरह की बनी होती है जिसमे शहद ,सिन्दूर ,चन्दन आदि आराम से छुपाया जा सकता है । गिरने के पीछे भी कई कारण हो सकते हैं । गुरुत्वकार्शण का नियाम तो आपने पढा ही होगा । हमारे एक मित्र थे उनके यहाँ फर्श पर चलने से उनके पुराने मकान का प्लास्टर झड़ता था ।
    इसलिये हमें यह खोजबीन तो करनी ही पड़ेगी । हमें कारण ढूँढने पड़ेंगे । कई बार यह भी होता है कि हम अपनी आँखों से देखते रहते हैं और उसे नहीं देख पाते जो देखना है । दूध पीने के अन्धविश्वास के समय लोग सिर्फ मूर्ति को देख रहे थे जब मैने पत्रकारों और कई लोगों को मन्दिर के फर्श से होकर नाली में बहता दूध दिखाया तो लोगों ने विश्वास किया और उसकी फोटो भी छपी । इसलिये कई बार फोटो में यह चालाकी पकड़ मे आ जाती है । आप जहाँ शहद निकलता है वहाँ गुप्त कैमरा लगा दीजिये 24 घंटे में ही समझ में आ जायेगा यह कैसे होता है । कई बार हम कोई चीज़ एक क्षण के लिये भरपूर मात्रा मे देखते हैं तो लगता है ऐसा हमेशा होता होगा जबकि ऐसा नहीं होता है । जैसे टॉय्लेट का फ्लश चलाने पर 2-4 सेकंड के लिये इतना पानी निकलता है कि .. आशा है मेरा आशय आप समझ रही होंगी ।

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    उत्तर
    1. प्रिय शरदजी मेरी भी कुछ जिज्ञासा है। मैं एक शिक्षक हूँ और मेरे प्राचार्य भी साईं बाबा के भक्त है उनके यहाँ हर गुरुपूर्णिमा, दोनों नवरात्री और भी कुछ मंगल दिनों में भभूत, शहद यहाँ तक के सोने के सिक्के निकलते है। कृपया मेरी जिज्ञासा का समाधान करें कि यह क्या है। क्योंकि मुझे पूरा विश्वास है ये एक ईश्वरीय चमत्कार नहीं है।

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    अल्पना जी,

    शरद जी ने बहुत अच्छी तरह से explain कर दिया है कि ऐसा क्यों होता है... हम मैजिक शो में जाते हैं वहां पर हमें मैजिक-ट्रिक के पीछे की हकीकत समझ में नहीं आती पर हम जादूगर के हुनर पर ताली बजाते हैं कि उसने हमें बेवकूफ बना ही लिया। परन्तु ऐसी धार्मिक ट्रिकों को जब हम समझ नहीं पाते तो उसे बाबा या भगवान का चमत्कार मान कर नतमस्तक हो जाते हैं।

    एक बार फिर वह बात जो मैं अक्सर ऐसे मुद्दों पर कहता हूँ यहाँ कहूंगा " जिसे विज्ञान के ज्ञान व नियमों से समझाया न जा सके अथवा उस जैसी ही परिस्थितियों में सक्षम व्यक्ति द्वारा दोहराया न जा सके ऐसा कोई कारनामा या चमत्कार मानव इतिहास में न कोई कर पाया है, न कर पायेगा।"

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  26. हमारे यहां एक सेठ जी थे जिन्हे एक सिद्दी प्राप्त थी . एक बार मैने जिद की मुझे इमरती खानी है और उस समय रात थी और शहर मे कही भी रात मे इमरती नही बनती थी पह्ले उन्होने मना किया लेकिन मेरी जिद के आगे वह झुक गये उनका हाथ हवा मे उठा और हाथ मे गर्मागर्म इमरती थी .
    कैसे हुआ मुझे नही मालुम लेकिन जादु से बडी कला थी वह

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  27. " andh vishwash .......is andh vishwash ne na jaane kitne logo ke ghar ujade honge ...."

    " aapki is behatarin post ke liye aapko jitani bhi badhai du utani kum hai sir ."

    ----- eksacchai { AAWAZ }

    http://eksacchai.blogspot.com

    MAAFI CHAHUNGA KI MAI DER AAYA SIR

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  28. बहुत अच्छा लिखा है आपने शरद जी
    आभार

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  29. ye sabhi haath ki safai aur vigyan vidya ka kamaal hai aese andhvishwas se apna door tak nata nahi ,aashta ko chhalna hamare yahan mamooli baat hai aur ise munafa bhi kamana ,in sabhi karyo me janta hi sahyog deti hai ,zindagi se jujhata hua insaan tasalli pane ke liye kahan-2 nahi bhatak jata hai .ye vichitr vidambana hai ,jahan hamare gyan ki bhi ahmiyat nahi ,achchha laga padhkar sharad ji ye post ,ise hamare aankhe khul jaaye to aur bhi saarthak ho .

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  30. बहुत बढ़िया और मज़ेदार लगा! वैसे हमारे देश में आज भी अन्धविश्वास की कमी नहीं हैं! लोग बहुत जल्द किसीके बातों में आ जाते हैं और अपना दिमाग बिल्कुल नही लगाते!

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  31. ।एक कार्यकर्ता ने बोर्ड पर यह फार्मूला ही लिख दिया ।
    6Hg2Cl2+2Al = 2AlCl3+3Hg2Cl2+6Hg
    baba aur pandaon ke chamatkaaron ki kahani jante hue bhi yah durbhagya hi hai ki padi likhe log bhi inke chkaar mein aa jate hai...sadharan ki to baat hi or hai ...
    andhvishwas ki khilaf bahut sarthak aalekh...
    Shubhkamnayne

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  32. विज्ञानं निरंतर इन íईश्वरीय चमत्कारों'की सत्यता उजागर कर रहा है लेकिन वह रे आस्था! कहते हैं, जादू वो जो सर चढकर बोले, लेकिन यहाँ तो बिना सर चढ़े ही सब 'बाबा की कृपा, महत्ता, प्रताप' मान लिया जाता है. मूर्तियों के दुग्धपान को अभी कोई लम्बा अरसा नहीं गुज़रा. लोगों ने मूर्तियों को दारू तक पिला कर दिखा दिया. लेकिन अंधविश्वासियों की आँखें अब भी नहीं खुल रहीं. कुछ माह पूर्व, यहाँ लखनऊ में गुजरात के एक नामी-गिरामी महात्मा जी पधारे थे, उनके प्रवचन को सुनने हजारों नर-नारियों का मजमा इकट्ठा हो गया था. ट्रैफिक व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो गयी थी. प्रशासन के लोग स्वयं पुण्य लाभ लेने हेतु मरे जा रहे थे, पब्लिक को कौन कंट्रोल करता. एक भक्त ने मुझसे कहा, बाबा बहुत त्यागी हैं, माया का परित्याग करने को कहते हैं. मैंने कहा, बाबा स्वयं क्यों नहीं माया छोड़ते, कार में घूमते हैं, फाइव स्टार आश्रम में वास करते हैं, एक प्रवचन के लाखों लेते हैं, दवा, कास्मेटिक, मंजन, साबुन सब बेचते हैं, ये माया मोह क्यों? उसने कहा, ये बाबा की लीला है, आप नहीं समझेंगे. सच है, समझदार की हर में युग मौत हुई है.
    मैं काफी दिनों बाद आ सका हूँ, क्षमा प्रार्थी हूँ.

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  33. हा हा अरे शरद भैया जब पूजन श्री देवी जैसों का हो तो अपन भी अंधविश्वासी बनने को तैयार हैं।

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  34. sir aapka bahut bahut shukriya ki muje aapka yeh web page padne ke liye. main bahut dino se andhvishwasiyi ke kilaf team ki khoj me tha. aaj maine aapka yeh page pada. muje bahut kushi ho rahi hain. main bhi atheist hoon. aise andhvishwasi ke kilaf science ka prachar karna chayeey. . main andhra pradesh se hoon sir. muje aure bahut saari jankari chayeeye.

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  35. Dhiru Singh ji Jis sadhu ne haath uthakar germa germ imerti aap ko di woh kya tha

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  36. हमारे समाज में अंधविश्वास की जड़े काफी गहरी हैं। आज आवश्यकता है , आम इंसान को ज्ञान की, जिस से वो; झाड़-फूँक, जादू टोना ,तंत्र-मंत्र, और भूतप्रेत जैसे अन्धविश्वास से भी बाहर आ सके
    हुत अच्छा लिखा है आपने शरद जी
    आभार

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