अब तक बहुत सारे विषयों पर हम लोग बात चीत कर चुके हैं । यह बृह्मांड कैसे बना , सूर्य चाँद सितरे ,पृथ्वी कैसे बने , पृथ्वी पर जीवन कैसे आया । सजीव और निर्जीव में क्या फर्क़ होता है , सजीवों के क्या लक्षण होते हैं आदि आदि । अब देखते हैं कि इस पृथ्वी पर मानव का आगमन कहाँ से हुआ और कैसे हुआ ?
पृथ्वी पर मानव कैसे आया ?
पृथ्वी पर जीवन के आगमन के पश्चात अब मानव के आगमन का समय हो चुका था । यह 3.5 अरब वर्ष पूर्व की बात है जब पृथ्वी का तापमान 840 सेंटीग्रेड था । पृथ्वी के निर्माण के पश्चात मानव शरीर की बनावट के लिये जो आवश्यक तत्व थे वे पृथ्वी पर स्थित जल में बनना शुरु हुए । ओजोन की परत के अभाव में अल्ट्रावायलेट , इनफ्रारेड किरणे सीधे पानी में गिरना शुरु हुई । । इन घटक पदार्थों के मेलजोल से सजीव अमीबा जैसी कोशिका तैयार हुई । लगभग 3 करोड़ वर्ष पूर्व यहाँ दलदल था । उथले जल में रसायनों से मिलकर पहली सजीव कोशिका बनी इनमें जल कीट थे, घोंघे थे, रेंगनें वाले जीव थे, जिससे आगे चलकर सस्तन प्राणियों की उत्पत्ति हुई और मनुष्य बना । इस तरह हमनें मछलियों से साँस लेना सीखा । हमारे यहाँ यह मान्यता है कि मनुष्य का शरीर पंचतत्वों का बना है । मरने के बाद इसे मिट्टी कहते हैं ।
मुर्गी पहले आई या अंडा - यह एक सनातन सवाल है जो अक्सर पूछा जाता है और उत्तर देने वाला हमेशा चकरा जाता है । लेकिन इसमें परेशान होने की ज़रूरत नहीं है । इतना पढ़ने के बाद यह तो आप जान ही गये होंगे कि ना मुर्गी पहले आई ना अंडा । जीवन के क्रमिक विकास के तहत ही इनका उद्भव हुआ । सारे सजीव इसी तरह बने हैं । चलिये फिर से इंसान की बात पर आ जाते हैं । इंसान का जन्म भी इसी तरह जीवों के क्रमिक विकास के अंतर्गत हुआ है । आदि मानव के उदविकास के विभिन्न चरणों तथा उनकी निरपेक्ष तिथियों के अध्ययन से ज्ञात होता है कि 40 लाख वर्ष पूर्व के मानव को आस्ट्रेलोपिथेकस कहा जाता था । यह मनुष्य पत्थरों का उपयोग करता था तत्पश्चात पिथिकेंथोप्रस मानव 20 लाख वर्ष पूर्व हुआ यह मानव दो पैरों पर चलना जानता था । नियेंडरथल मानव 2 लाख वर्ष पूर्व हुआ था तथा हमारे जैसे आधुनिक मानव की उत्पत्ति मात्र 40000 वर्ष पूर्व हुई है । यह समस्त क्रियाएँ विभिन्न चरणों में सम्पन्न हुई हैं इसलिये हम यह कह सकते हैं कि वह पहला मनुष्य आज के मनुष्य जैसा कतई नहीं दिखता था । उसके पास वह सब चीज़ें होने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता जो आज हमारे पास हैं ।इसलिये उस मनुष्य से आज के मनुष्य की तुलना भी बेमानी है । हम क्या थे और आज क्या हो गये हैं जैसे ज़ुमले भी बेकार हैं । समय के अनुसार हर जीव में परिवर्तन होता रहता है । कौन कह सकता है कि आज से 10-20 हज़ार साल बाद का मनुष्य ऐसा ही दिखाई देगा ? उसके पास यह सब वस्तुएँ भी नहीं रहेंगी जो आज हमारे पास हैं ।
चलिये अपना दिमाग़ लगाइये . और क्या क्या हो सकता है इतने हज़ार साल बाद ... इसलिये कि अगला लेख मैं दिमाग़ के बारे में ही लिखने वाला हूँ ।
उपसर्ग में बाबा नागार्जुन की यह कविता ...इसका सन्दर्भ तो आप समझ ही सकते हैं ..
बाकी बच गया अंडा
पाँच पूत भारत माता के , दुश्मन था खूँखार
गोली खाकर एक मर गया बाक़ी रह गये चार
चार पूत भारत माता के , चारों चतुर प्रवीन
देश-निकाला मिला एक को , बाक़ी रह गये तीन
तीन पूत भारत माता के , लड़ने लग गये वो
अलग हो गया उधर एक ,अब बाकी बच गये दो
दो बेटे भारत माता के , छोड़ पुरानी टेक
चिपक गया है एक गद्दी से, बाक़ी बच गया एक
एक पूत भारत माता का . कन्धे पर है झंडा
पुलिस पकड़ के जेल ले गई, बाक़ी बच गया अंडा ।
छवि गूगल से साभार
this is a real good look into history mama...liked it a lot...
जवाब देंहटाएंजानकारी देती पोस्ट
जवाब देंहटाएंऔर फिर बाबा नागार्जुन की रचना के बाद सवाल बचा ही नहीं कि मुर्गी पहले आई कि अंडा
बढियां मानुष पुराण
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक पोस्ट.
जवाब देंहटाएंएक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं
अच्छी जानकारी देती पोस्ट
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारी। और साथ में नागार्जुन जी की कविता बोनस का एहसास करा रही है।
जवाब देंहटाएं--------
पॉल बाबा की जादुई शक्ति के राज़।
सावधान, आपकी प्रोफाइल आपके कमेंट्स खा रही है।
---वास्तव में समझना है तो कल्किओन हिन्दी पर मेरा आलेख " श्रिष्टि व ब्रहमांड" पढें या अथवा मेरे ब्लोग http://shyamthot.blogspot.com पर पढें
जवाब देंहटाएं---अब तो पता चल गया---पहले मुर्गी आई.बाद में अन्डा...वेदिक साहित्य के अनुसार भी ब्रह्मा द्वारा पहले मानस पुत्र/पुत्री-- मानव बनाया गया ।
उम्दा पोस्ट
जवाब देंहटाएंmurgi pahle aai ki paheli suljh bhi to hame kya. achchi jankari di apne.
जवाब देंहटाएंबेहद ही रोचक लगा ये आलेख....ये ऐसा विषय है जिसके बारे में जानने की उत्सुकता हमेशा ही बनी रहती है...आभार
जवाब देंहटाएंregards
इस जानकारी के लिए बहुत आभार और बाबा नागार्जुन की कविता की छौंक इसमें और भी चार चांद लगा गई।
जवाब देंहटाएंशरद जी इस रोचक जानकारी के लिए आभार।
जवाब देंहटाएं………….
अथातो सर्प जिज्ञासा।
संसार की सबसे सुंदर आँखें।
history ki is rochak jaankaari ka shukriya....
जवाब देंहटाएंMeri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....
A Silent Silence : Naani ki sunaai wo kahani..
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