मंगलवार, 29 अगस्त 2017

किसको बना रहे हो बीडू...

*किसी बच्चे से पूछकर देखिये , पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है या सूर्य पृथ्वी के चक्कर लगाता है ?*

पता है वह आप को क्या जवाब देगा .. किस ज़माने में जी रहे हैं अंकल..हमें सब पता है ,सूर्य कैसे निकलता है चाँद कैसे निकलता है ,पानी कैसे बरसता है,पृथ्वी कैसे घूमती है ,भूकंप कैसे आता है , सुनामी कैसे आती है , ग्रहण कैसे लगता है , हम कैसे पैदा होते हैं और कैसे मरते हैं आदि आदि ।

फिर भी आप बच्चे को बताएँगे कि आसमान में एक इंद्र भगवान है जो पानी बरसाते हैं , ज्यूस नाम के देवता के पास बिजली का अस्त्र है जिसका नाम थंडर बोल्ट है । ( इस जनरेशन का बच्चा हो सकता है कहे . ..किसको बना रहे हो बीडू.. यह तो बीअर का नाम है ) फिर आप उससे कहेंगे कि मृत्यु के समय एक यमराज नाम का देवता आता है वह आपके प्राण ले जाता है तब वह ज़ोर से हँसेगा । अगर आप उससे कहेंगे कि शनि नामका देवता है जो नाराज़ हो जाए तो आपको परीक्षा में फेल कर देगा , बच्चा तुरंत अपने मोबाइल पर शनि ग्रह की तस्वीर बता देगा और कहेगा यह कोई देवता-वेवता नहीं है एक मामूली सा ग्रह है और फेल या पास कराने वाला शनि महाराज नहीं है , जो पढ़ेगा वही पास होगा । ज़माना बहुत आगे बढ़ चुका है भैया ..। अब के बच्चे न सान्ताक्लाज़ की कहानी पर यकीन करते हैं न राहू -केतु की ,न परी और राक्षसों की ।  

आधुनिकता के दौर में दिखाई देने वाला यह परिवर्तन अचानक नहीं हुआ है । प्रकृति से सम्बंधित रहस्यों की खोज बहुत धीरे धीरे संपन्न हुई और मनुष्य समाज वैज्ञानिक दृष्टि से संपन्न होता गया । उदाहरण के लिए  आज  से महज चार सौ साल पहले तक लोग इस बात में सब विश्वास रखते थे कि पृथ्वी स्थिर है और सूर्य उसके इर्द-गिर्द परिक्रमा करता है । उस समय तक का सारा धार्मिक साहित्य भी इसी अवधारणा पर आधारित है । लोग तत्संबंधी मान्यताओं को अंतिम  मानकर चुपचाप बैठे रहे लेकिन विज्ञान ने यहाँ भी पैठ लगाई  और इस सत्य की खोज की कि सूर्य अपने स्थान पर स्थिर है और पृथ्वी उसकी परिक्रमा करती है ।

*यदि आज आप उस पुरानी  मान्यता पर विश्वास करने के लिए  किसी बच्चे से भी ऐसा कहेंगे तो वह आपकी मूर्खता पर हंसेगा । लेकिन क्या आप जानते हैं , सिर्फ इसी एक बात को कहने के आरोप में तत्कालीन धर्माचार्यों द्वारा वैज्ञानिक गैलेलियो को कारावास में डाल दिया गया , ब्रूनो और कोपरनिकस को जान से मार डाला गया और जाने कितने लोगों को प्रताड़ित किया गया । लेकिन विज्ञान ने हार नहीं मानी और इसके बाद तो अंतरिक्ष विज्ञान में कितनी खोज हुई , कितने ही ग्रह ढूंढें गए , उनके परिक्रमा पथ ढूंढें गए , कितने ही सितारे खोजे गए , और आज तक यह सिलसिला जारी है ।*

मुश्ताक़ नक़वी साहब ने मनुष्य के इसी आत्मविश्वास पर कहा है

*ज़िन्दगी का निशाँ हैं हम लोग*
*ऐ ज़मीं आसमान हैं हम लोग*  


*(शरद कोकास की शीघ्र प्रकाश्य पुस्तक "मस्तिष्क की सत्ता" से)*

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3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’खेल दिवस पर हॉकी के जादूगर की ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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  2. murkh apni baat se pahchana jata hai raja kumar ---- aaj tk vigyan kisi blatkari ko blatkar karne se nahi rok paya ..jante ho kyu ....
    .
    lekin yahi nadhwishwas kisi ke ke dil me dr paida karta hai kahi ye galat kaam kiya to koe paap na lag jaye ---

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