करोडपति बनाने की इच्छा किसकी नहीं होती लेकिन धर्म
और परम्पराओं के नाम पर या अज्ञानतावश कई बार हम ऐसे विश्वास पाल लेते हैं जिनसे हमें कुछ मिलना तो दूर बल्कि हमारा आर्थिक नुकसान ही होता है । यद्यपि हम अज्ञानतावश उनसे अनजान रहते हैं ।
एक प्रसंग मुझे याद आ रहा है । बरसों पहले दीपावली के समय की बात है । मैं घर
से दूर किसी अन्य शहर में अपने मित्र के यहाँ था । वह मित्र अविवाहित था अकेला ही
रहता था और गृह में कोई गृहलक्ष्मी नहीं थी लेकिन धन की देवी लक्ष्मी पर उसकी
आस्था थी । पूजन संपन्न होने के पश्चात मैंने अपने मित्र से कहा चलो शहर की रौशनी देखकर
आते हैं । हम लोग जब निकलने लगे तो मैंने उससे कहा "दरवाज़ा बन्द कर ताला तो
लगा दो ।" उसने सहजता से कहा "आज के दिन लक्ष्मी कभी भी आ सकती है इसलिए
द्वार पर ताला नहीं लगाया जाता ।" मैंने कहा “ और चोर आ गए तो ? “ और सचमुच ऐसा ही हुआ । जब हम लोग लौटे
तो चोर लक्ष्मीजी के पास रखी नकदी पर हाथ साफ कर चुके थे । वह बैचलर था सो उससे
ज्यादा तो उसके घर में कुछ था भी नहीं । मैंने हँसते हुए कहा 'देख लो , यह क्यों
भूल गए कि जिस दरवाज़े से लक्ष्मी आ सकती
है उससे जा भी तो सकती है ।'
मित्रों
, यह बरसों पुरानी बात है अब शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो लक्ष्मी जी के आगमन
की प्रतीक्षा में अपने घर के द्वार खुले छोड़कर चले जाए इसलिए कि अब सब जानते हैं
धन मेहनत से कमाया जाता है ऐसे ही नहीं मिल जाता ।
हालाँकि
अब भी लोग लाटरी में विशवास करते हैं , उम्मीद करते हैं कि उन्हें लाटरी मिल जाएगी
, या कहीं से गडा हुआ धन मिल जाएगा । हम में से कई लोग हैं जो अभी भी करोडपति बनने
की उम्मीद में जाने कहाँ कहाँ किन किन फर्जी कंपनियों में अपना धन लगाते रहते हैं । मोबाइल पर मेसेज आता है कि आपको लाटरी लग गई है , फलाने अकाउंट में इतना इतना
पैसा जमा करा दीजिये और लोग करवा देते हैं फिर पता चलता है कि यह भी एक फ्राड था ।
क्या यह भी एक तरह का अन्द्धविश्वास नहीं है ?
तात्पर्य
यह कि हमें सायास विश्वास और अन्धविश्वास
के इस दुष्चक्र से निकलना बहुत ज़रूरी है अन्यथा हम जीवन भर उन्हीं मान्यताओं और
जर्जर हो चुकी परम्पराओं को ढोते रहेंगे और इसका नुकसान उठाते रहेंगे । हालाँकि इससे
कोई विशेष नुकसान नहीं है , क्योंकि इतनी बुद्धि तो हम में है कि जैसे ही हमें
नुकसान की सम्भावना दिखाई देती है हम सतर्क हो जाते हैं ।
शरद कोकास
*(शरद
कोकास की शीघ्र प्रकाश्य पुस्तक "मस्तिष्क की सत्ता" से)*
-------------------------------------
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’नीरजा - हीरोइन ऑफ हाईजैक और ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद राजा साहब
हटाएंधन लालसा कभी ख़त्म नहीं होती !
जवाब देंहटाएंसही कह रहे हैं शर्मा जी
जवाब देंहटाएंpublish your content in book form with online book publisher India
जवाब देंहटाएंआज कल सभी को धन चाहिए
जवाब देंहटाएंlifestyle matters sports
जवाब देंहटाएंhow to use blocked sites