रविवार, 21 नवंबर 2010

पत्नी को आदेश मस्तिष्क का यह भाग देता है

6 आज्ञा केन्द्र (Morter Area ) एक तरह से यह मस्तिष्क का प्रधान मंत्री कार्यालय है । लगभग सारे विभाग इसी कार्यालय के अंतर्गत आते हैं । योजना विभाग भी इसी मंत्रालय के  अधीन है । सभी शारीरिक हरकतों की योजनाएँ यहाँ बनती है । उदाहरणार्थ आप कम्प्यूटर पर काम कर रहे हैं । इतने में एक गुस्ताख मच्छर आपकी बाईं बाँह पर बैठता है और अपनी सूँड चुभोने लगता है । क्षण मात्र में रगों में बहते रक्त के माध्यम से यह सूचना आपके मस्तिष्क के सोमेटोसेंसरी एरिया में पहुँच जाती है और वहाँ से उससे भी कम समय में आज्ञा केन्द्र अर्थात प्रधानमंत्री कार्यालय में । वहाँ इस सूचना पर त्वरित कार्यवाही होती है और आपके शरीर की पुलिस फोर्स अर्थात हाथों के लिये आदेश ज़ारी होता है कि इसे भगाओ  । हाथों की मसल्स तुरंत एक्शन में आ जाती हैं दाया हाथ तुरंत उठता है और बायें हाथ तक पहुँच जाता है  और पटाक से मच्छर का मर्डर हो जाता है । हाँ यदि आपके मस्तिष्क में अहिंसा की प्रोग्रामिंग है और आप मच्छर ही क्या बेक्टेरिया और वाइरस की हत्या के भी खिलाफ हैं तो आप उसे केवल भगाकर ही संतुष्ट हो जाते हैं । इसके बाद आपके हाथ पुन: पूर्व में आदेशित कार्य सम्पन्न करने में लग जाते हैं ।
मच्छर के अलावा अन्य जीवों की हत्या में भी यही प्रक्रिया होती है । मच्छर बेचारे की गलती तो यह थी कि उसने आप को काटा हाँलाकि यह उसने अपनी भूख मिटाने के लिये किया लेकिन हम बिना किसी अपराध के साँप ,मूक पशु और मनुष्यों तक की हत्या कर डालते हैं ।
तात्पर्य यह कि मस्तिष्क़ के इस विभाग से सारे आदेश प्रसारित होते हैं जैसे आपको प्यास लगी हो और गला सूख रहा हो तो गले से रिक्वीज़ीशन मस्तिष्क तक जाती है , वहाँ पर यह तय किया जाता है कि पिछली बार जब प्यास लगी थी तो क्या किया गया था । बचपन में माँ द्वारा पानी पिलाने से लेकर खुद पानी पीने तक की स्मृतियाँ क्षण मात्र में दोहराई जाती हैं । वहाँ से यह फाइल आदेश विभाग में जाती है , जहाँ से आदेश होता है पानी पियो ,पाँवों को आदेश दिया जाता है फलस्वरूप हम उठते हैं और पानी के टैप तक या मटके या फ्रिज तक  जाते हैं । हाथों को आदेश दिया जाता है , बॉटल निकालो या  गिलास उठाओ और उसमें पानी लेकर मुँह तक ले जाओ , इस तरह हम कुछ क्षणों में ही पानी पी लेते हैं और अपनी प्यास बुझाते हैं  । लेकिन कुछ लोग कुर्सी पर बैठे बैठे पत्नी को ज़ुबानी आदेश देते है “ हमरे लिये पानी लाओ । " पत्नी के शरीर की श्रवण प्रणाली द्वारा यह आदेश उसके मस्तिष्क़ तक पहुँचता है और फिर उसके द्वारा पति को पानी पिलाये जाने की क्रिया हेतु नविन आदेश उसके मस्तिष्क द्वारा जारी होता है ।   इस तरह पत्नी को ऑर्डर देने का यह काम भी इसी मस्तिष्क से होता है यानि पहला ऑर्डर यथावत रहते हुए ज़ुबान के लिये दूसरा ऑर्डर जारी हो जाता है ।
इसी तरह बहुत देर बैठे रहने पर पैर अकड़ जाता है तो मस्तिष्क के इसी विभाग से पैर की मसल्स के लिये आदेश ज़ारी होता है “ कुछ हिलो डुलो भई “। हमारे समस्त बाह्य अंगों को मस्तिष्क के इसी केन्द्र से आदेश प्राप्त होते हैं । बावज़ूद इसके शरीर के भीतर की अनेक क्रियाएँ होती हैं जो बिना मस्तिष्क के आदेश के सम्पन्न होती हैं जैसे की दिल का धड़कना । ( चित्र गूगल से साभार ) 
उपसर्ग में प्रस्तुत है  
राधिका अर्जुन द्वारा बनाया गया 
शमशेर बहादुर सिंह की कविता पर 
यह यह कविता   पोस्टर ।

इसे पढ़ते हुए मेरे मन में प्रश्न आया कि किसीसे प्रेम करने के लिये भी हमारा मस्तिष्क हमें कोई आदेश देता है क्या, जिसके फलस्वरूप  हम अगले व्यक्ति से  कहते हैं .. मुझे प्रेम करो ..
क्या कहते हैं आप ? 


16 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत कठिन बता दिया है आपने, अब घर चलाने की प्रक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  2. प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।
    आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (22/11/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा।
    http://charchamanch.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  3. बात तो सही लग रही है .हर काम करने के लिए हमें हमारा मस्तिष्क आदेश देता है.

    जवाब देंहटाएं
  4. Bura na maane Sharad bhai par ye chavanni chaap patrikaon, kaksha 8th ki vigyaan pustak aur nitaant jadmati bhartiya madhyamwarg kee us chetna ka prastutikaran hai jo swayam ko sarv gyaani maanti hai, ka khichri prastutikaran hai. Vigyaan jiski aap baat kar rahe hai wo 40-50 saal pahle shodh kee seemaon ko chookar janchetna ka hissa ban chuka hai.

    Aaj ka vigyaan bahut alag hai. Par aap jaiso ko shayad 30-40 saal baad pata chalega.

    Band karo adhkachra gyaan baghaarne ke behooda aur unauthorized koshis

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. विज्ञान तो हमेशा आज का ही होता है प्रयोग और परिणाम पर आधारित । विज्ञान के साथ चलिये भविष्य बेहतर होगा । इस देश मे अभी भी विज्ञान के बारे में समझ नही है सो उनकी भाषा मे ही बताना होगा न भाई । अब चाहे तो इसे अधकचरा समझ लें ।

      हटाएं
  5. बहुत अच्छी तरह समझ गये। शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  6. मानव मस्तिष्क में अरबों सेल हैं जिनमें से नगण्य का ही उपयोग वर्तमान में 'सबसे बुद्धीमान' व्यक्ति भी कर पाता है, ऐसा जाना गया है पश्चिमी देश के वैज्ञानिकों ने (जिनकी हम नक़ल कर रहे हैं)...यह भी किन्तु सभी को पता होगा कि फिर भी मानव मस्तिष्क एक अनूठे उपकरण समान है जिसे हम अपने सर में उठाये जन्म भर फिरते हैं और जिसकी कृपा से, यदि यह सही काम कर रहा हो, तो हम अपने आपको पशु से बेहतर महसूस करते हैं,,, किन्तु जिसने अपने मस्तिष्क का उपयोग कर इस सृष्टि की रचना करी, उस परमात्मा की तुलना में अपने आप को नगण्य पाते हैं (जो शायद सारे सेल का उपयोग कर सकता है)...प्राचीन ज्ञानिओं ने सब प्राणियों को ८४-लाख काल-चक्र में उलझे योगी-स्वरुप यन्त्र समझा (अनंत शक्ति और साकार शरीर के मिलन से बने),,, और 'महाभारत' की कथा में भी जैसे 'सुदर्शन चक्र धारी कृष्ण' ने 'तत्कालीन सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर अर्जुन' को बताया कि वो केवल निमित्त मात्र, अथवा एक माध्यम, यानि एक यन्त्र मात्र है (जिसका नियंत्रण परमात्मा के हाथ में है और उसको पाने के लिए आत्म-समर्पण आवश्यक है!)...

    जवाब देंहटाएं
  7. मानव मस्तिष्क और मच्छर के उदाहरण से याद आता है कि कैसे, अस्सी के दशक के आरम्भ में, मैं जब गौहाटी में था तो लगभग चार दशक से मच्छरों को औरों की देखा- दाखी, बिना सोचे, मार दिया करता था...किन्तु एक दिन जब अपने पिताजी को अंतर्देशीय पत्र लिख रहा था तो मैंने देखा एक मच्छर मेरे दांये हाथ पर बैठ गया,,,तुरंत मेरा बांया हाथ ऊपर हवा में उसे मारने के लिए उठ गया ...किन्तु उसी क्षण, जैसे अन्दर कोई बटन दब गया हो, मेरे मन में विचार आया कि मैं जहां भी रहा मच्छरों ने मुझे काटा था किन्तु मुझे कभी भी मलेरिया नहीं हुआ था,,, जिस कारण एक 'वैज्ञानिक' होते हुए भी मैं उनको क्यूँ मारता आ रहा हूँ (एक अनपढ़ समान!) ? यह सोच मैंने अपने मन में ही उससे कहा कि वो मेरा मेहमान है, इस कारण मैं उसे नहीं मारूंगा और हाथ भी नहीं हिलाऊँगा...और जैसा हमारा आम अनुभव है, वे तुरंत थोडा सा खून पी उड़ जाते हैं, इस लिए मैं अचंभित रह गया जब उसने आराम से मेरे अंगूठे में एक विशेष स्थान को चुना,,, और कई मिनट तक मेरा रक्त पीता चला गया! और जब वो मेज़ पर उतरा तो कुछ देर रुक जब आगे बढ़ा तो एक शराबी समान, जिसने आवश्यकता से अधिक पी ली हो, चल रहा था!

    जवाब देंहटाएं
  8. अपनी तो कोई अंकशायिनी ही नी से तो आदेश देने वाला भाग शायद काम न कर रहा हो।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत बढिया जानकारी दी है आपने!...धन्यवाद!...अब लगे हाथ बताइए कि पति को आदेश देने के लिए मस्तिष्क का कौन सा भाग होता है?

    जवाब देंहटाएं
  10. @ डा. अरुणा जी
    मैंने जो कभी पढ़ा था, उसके अनुसार स्त्री और पुरुष के मस्तिष्क की बनावट तो एक सी है, दो गोलार्ध, किन्तु स्त्रियों में दोनों बोलने और देखने (verbal और visual) का काम करते हैं और सूचना एक से दुसरे में पहुँच जाती है,,,जबकि पुरुष में एक गोलार्ध यदि बोलने का काम करता है तो दूसरा देखने का...

    जवाब देंहटाएं
  11. प्रस्तुतिकरण में आपके मिज़ाज की आहट है. कहाँ अच्छी है. अभी तक तो यही सुना था कि आदेश पत्नी देती है, उसके आगे पीटीआई का दिमाग कुंद रहता है. मगर अब यह ख्याल बदलना होगा.

    जवाब देंहटाएं

अन्धविश्वासों के खिलाफ आगे आयें