इस पृथ्वी पर मनुष्य का जन्म होने से पूर्व ही बहुत कुछ घटित हो चुका था.बृह्मांड,सूर्य,चान्द,सितारे,आकाश,हवायें,बादल सब कुछ उपस्थित था। मनुष्य नित नई परिघटनायें यहाँ घटित होते हुए देखता और अपनी मान्यतायें तय करता जाता |प्रकृती के रहस्यों को लेकर अलग अलग अलग अलग विचार दृढ होते गए|मनुष्य अपने देवी-देवताओं का निर्माण कर चुका था।मिस्त्री लोगों ने आकाश को एक देवी माना जहाँ रात में दिखाई देने वाले चान्द सूरज दिन में गायब हो जाते थे उन्हे लगा आकाश में कोई सागर है जहाँ ग्रह नाव में बैठकर आर-पार जाते हैं|यूनानी लोगों को आकाश एक छत की तरह प्रतीत होता था। इसी तरह पृथ्वी के बारे में भी मान्यतायें बनी जैसे हमारे यहाँ मान्यता है कि सागर में एक वासुकी नाग है जिसकी पीठ पर हाथी है जिस पर एक तश्तरी है जिसमें पृथ्वी रखी है और नाग के हिलने से भूकम्प आते हैं वगैरह..।
लेकिन जहाँ एक ओर लोग अपनी मान्यताओं में परिवर्तन हेतु तत्पर नही थे वहीं उन्हीके बीच के कुछ लोग इन रहस्यों को सुलझाने में लगे थे।सबसे पहले दूसरी सदी में यूनान के क्लाडियस नामक वैज्ञानिक ने बताया कि सूर्य चान्द,तारे भी कोई देवी-देवता नही हैं वे पृथ्वी की तरह पिंड हैं.फिर पन्द्रहवीं सदी में पोलैंड के निकोलस कॉपरनिकस(1473-1543) ने बताया कि सूर्य केन्द्र मे है तथा पृथ्वी सहित अन्य ग्रह उसकी परिक्रमा करते हैं। इस बात का भीषण विरोध हुआ। उनकी पुस्तक ‘On The Revolution” उनके मरने के बाद प्रकाशित हुई।सोलहवीं सदी में इटली के गियारडानो ब्रूनो(1548-1600)ने कहा कि कॉपरनिकस बिलकुल सही थे,इस बात के लिये उन पर मुकदमा चला और 17 फरवरी 1600 को उन्हे ज़िन्दा जलाया गया।इंग्लैंड,जर्मनी,फ्रांस में इसके प्रचार के बाद अनेक वैज्ञानिक इस मान्यता के पक्ष में आये,पहला टेलीस्कोप बनाने वाले गेलेलिओ(1564-1642),ग्रहों का अंडाकार पथ बताने वाले कैपलर(1571-1630)और गुरुत्वाकर्षण के खोजकर्ता न्यूटन(1642-1727).अनेक विरोधों का सामना करने के बाद आज कहीं यह मान्यतायें स्थापित हो पाई हैं।
आज आप प्रायमरी स्कूल के बच्चे से भी कहें कि पृथ्वी स्थिर है और सूर्य रोज़ उसकी परिक्रमा करता है तो वह आपके सामान्य ज्ञान पर हंसेगा।लेकिन जो लोग नित्य सूरज चान्द व ग्रहों की पूजा करते हैं,उनसे डरते हैं उन्हे अपनी कुंडली मे बिठाकर उनकी शांती हेतु जाने क्या क्या करते हैं उन्हे क्या कहेंगे आप? कॉपरनिकस और ब्रूनों के युग के लोग अभी भी जीवित हैं.उनसे उलझकर तो देखिये आप भी ज़िन्दा जला दिये जायेंगे..(कवि की सलाह- आलोक धनवा की कविता “ब्रूनो की बेटियाँ” अवश्य पढें)
शरद कोकास
आलोक धनवा की कविता “ब्रूनो की बेटियाँ” तो पढ़ी नहीं..अब ढ़ूंढ़ते हैं पढ़ने के लिए. आपका आभार.
जवाब देंहटाएंसही लिखा आपने...!आप तो बहुत पहले की बात कर रहे हो...अभी भी देख लो ..आधुनिक युग में भी कितने ही अंध विशवास फले है जग में...!आज भी औरतों को दायाँ बता कर मारा जा रहा है..इसी प्रकार ग्रहों का चक्कर बता कर लाखों रुपये ठगे जा रहे है...
जवाब देंहटाएंZindagi ke kruru satya ko udhed kar rakh diya aapne.
जवाब देंहटाएं-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
नये ब्लाग का स्वागत
जवाब देंहटाएंविज्ञान की प्रगति कितनी भी हुई हो समाज में अब भी तर्क और वैज्ञानिकता प्रभावी नहीं है तो अब भी ब्रूनो को ख़तरे उठाने ही होंगे।
बढ़िया
जवाब देंहटाएंkuch hat kar, kuch alag si mahak mili
जवाब देंहटाएंAAPKO DILI BADHAI
बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंअंधविश्वास ही सही, किन्तु स्थापित परम्परायें टूटने से पहले बलिदान लेतीं हैं।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
Aaj bhi andhvishvas logo me bahut hai kya pade likhe aur kya anpad. Veri nice post
जवाब देंहटाएंएक जिम्मेदारी भरा महत्वपूर्ण कार्य...
जवाब देंहटाएंसाधुवाद...
वेज्ञानिक दृष्टिकोण की बहुत जरूरत है,
जवाब देंहटाएंलगे रहिए.
bahut khub bhagat. narayan narayan
जवाब देंहटाएंbahut khub , narayan narayan
जवाब देंहटाएंचिटठा जगत मैं आप का स्वागत है । लिखते रहीये हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंयह तो एक जागरूकता अभियान है!
जवाब देंहटाएं“ब्रूनो की बेटियाँ” अगर अंतरजाल पर हो,
तो लिंक दिया जा सकता है!
मेरा मन दुखी है और आक्रोशित भी ..आज फिर एक २ वर्ष का बच्चा बैनडेड करैत सांप के काटे जाने के बाद झाड़ -फूंक की भेट चढ़ गया.आप सच कहते हैं लोग नही बदलने वाले.
जवाब देंहटाएंहूँ बहुत क्षोभ जनक स्थिति है ! निरंतर प्रहार की जरूरत है !
जवाब देंहटाएंaaj kal to news chanal men bhi bhavisya batane waalon ki bhid lagi hui hai....jo aaye din kabhi mangal to kabhi shani ka prakop batate rahte hain.......aap ka ye prayaas sarahniy hai.....blog main aane ke liye dhanyawaad
जवाब देंहटाएंSahi kaha hai aapne. 'Bruno ki Betiyan' sambhav ho to aap hi apne blog par kabhi uplabdh kara dein.Dhanyavad.
जवाब देंहटाएंभाई साहब कमाल की बात बता रहे हैं आप नई है मेरे लिए
जवाब देंहटाएंकमाल की बात बता रहे है आप
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया....
जवाब देंहटाएंमुझे उलझने में बहुत मज़ा आता है...
बहुत बढिया शुरुआत । आपके सारे ब्लॉग मैने अपने ब्लॉग रोल में लगा लिये हैं ।
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